कुछ मेरे बारे में

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आईज़ोल, मिज़ोरम, भारत
अब अपने बारे में मैं क्या बताऊँ, मैं कोई भीड़ से अलग शख्सियत तो हूँ नहीं। मेरी पहचान उतनी ही है जितनी आप की होगी, या शायद उससे भी कम। और आज के जमाने में किसको फुरसत है भीड़ में खड़े आदमी को जानने की। तो भईया, अगर आप सच में मुझे जानना चाहते हैं तो बस आईने में खुद के अक्स में छिपे इंसान को पहचानने कि कोशिश कीजिए, शायद वो मेरे जैसा ही हो!!!

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शनिवार, 10 अक्तूबर 2009

१ बार मुस्कुरा २

शमशेर सिंह ट्रेन के लाइनमैन की नौकरी के लिए इन्टरव्यू देने गया। उससे पूछा
गया:
इन्टरव्यूवर : शमशेर सिंह, मान लो तुम्हे पता चलता है कि तुम्हारे ट्रेक पर दो
रेलगाडियां विपरीत दिशा से आ रही है और उनमे टक्कर होने वाली है तो तुम क्या
करोगे?
शमशेर सिंह: मै किसी एक ट्रेन को दूसरी लाइन पर स्विच कर
दूंगा।
इन्टरव्यूवर : अगर लीवर काम नही कर रहा हो तो?
शमशेर सिंह: तो मै हाथ से
लीवर को खींचने की कोशिश करूंगा।
इन्टरव्यूवर :अगर वो भी काम नही किया
तो?
शमशेर सिंह: मै दोनो तरफ़ के स्टेशन मास्टर को खबर करूंगा।
इन्टरव्यूवर :अगर
फोन भी काम नही कर रहा हो तो?
शमशेर सिंह: मै लाल कपड़ा लेकर ट्रेक पर खड़ा हो
जाऊंगा।
इन्टरव्यूवर : अगर उस समय कोई लाल कपड़ा नही मिला तो?
शमशेर सिंह: फिर
मै अपनी बीबी प्रीतो, को बुलाऊंगा।
इन्टरव्यूवर :क्यों क्या वो कोई इन्जीनियर
है?
शमशेर सिंह: नही, उसने कभी रेलगाड़ियों की टक्कर नही देखी ना।

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