कुछ मेरे बारे में

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आईज़ोल, मिज़ोरम, भारत
अब अपने बारे में मैं क्या बताऊँ, मैं कोई भीड़ से अलग शख्सियत तो हूँ नहीं। मेरी पहचान उतनी ही है जितनी आप की होगी, या शायद उससे भी कम। और आज के जमाने में किसको फुरसत है भीड़ में खड़े आदमी को जानने की। तो भईया, अगर आप सच में मुझे जानना चाहते हैं तो बस आईने में खुद के अक्स में छिपे इंसान को पहचानने कि कोशिश कीजिए, शायद वो मेरे जैसा ही हो!!!

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सोमवार, 2 अगस्त 2010

१ बार मुस्कुरा २

बॉस ने अपने एक कर्मचारी को ऑफिस में बुलाया और कहा - मि. गोपाल, तुमने एक साल पहले यह कंपनी बतौर क्लर्क ज्वाइन की थी। चार महीने के भीतर ही तुम्हारा प्रमोशन मैनेजर के पद पर हो गया। उसके चार महीने बाद तुम कंपनी के वाइस-चेयरमेन पद तक पहुंच गए। मेरे विचार से अब समय आ गया है कि तुम इस कंपनी का पूरा भार ग्रहण कर लो और मैं 
रिटायरमेंट ले लूं।

- जी । कर्मचारी ने कहा।

- तुम इस संबंध में कुछ कहना चाहते हो।

- जी हां। मैं आपको थैंक्यू कहना चाहता हूं। 

- बस सिर्फ थैंक्यू ? और कुछ नहीं कहना ।

- ओह सॉरी ! थैंक्यू पापा ........ !

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