कुछ मेरे बारे में

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आईज़ोल, मिज़ोरम, भारत
अब अपने बारे में मैं क्या बताऊँ, मैं कोई भीड़ से अलग शख्सियत तो हूँ नहीं। मेरी पहचान उतनी ही है जितनी आप की होगी, या शायद उससे भी कम। और आज के जमाने में किसको फुरसत है भीड़ में खड़े आदमी को जानने की। तो भईया, अगर आप सच में मुझे जानना चाहते हैं तो बस आईने में खुद के अक्स में छिपे इंसान को पहचानने कि कोशिश कीजिए, शायद वो मेरे जैसा ही हो!!!

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शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

(बेमेल) तुकबन्दी - दूसरा किस्त

पिछ्ले कुछ दिंनोँ मेँ फेसबुक पर मित्रोँ के साथ वार्तालाप मेँ कुछ तुकबन्दी का सहारा लिया । उन्ही मेँ से कुछ को यहाँ अपने ब्लाग पर भी प्रेशित कर रहा हूँ, उम्मीद है पसन्द आयेगी.....


अकेलेपन का क्या डर, जब वह खुद ही मुझसे खौफज़दा है
ख्वाबो खयालोँ से क्या गिला, उससे कौन सा परदा है
क्या हुआ जो मै कुछ मायूस सा हूँ ऐ यारोँ
यही तो मेरी मासूमियत और अदा
है

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