कुछ मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
आईज़ोल, मिज़ोरम, भारत
अब अपने बारे में मैं क्या बताऊँ, मैं कोई भीड़ से अलग शख्सियत तो हूँ नहीं। मेरी पहचान उतनी ही है जितनी आप की होगी, या शायद उससे भी कम। और आज के जमाने में किसको फुरसत है भीड़ में खड़े आदमी को जानने की। तो भईया, अगर आप सच में मुझे जानना चाहते हैं तो बस आईने में खुद के अक्स में छिपे इंसान को पहचानने कि कोशिश कीजिए, शायद वो मेरे जैसा ही हो!!!

पृष्ठ

मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

१ बार मुस्कुरा २

यदि आप रेल/जहाज का टिकट खुद औन-लाईन बनाते हैं तो मेरी राय है कि आप टिकट का कम-से-कम दो प्रति यात्रा मे‍ साथ रखें । हां, एक बात और, पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुक बने‍, कागज के दोनों तरफ प्रिन्ट करे‍, कागज बचाएं ।

आप भी खुश रहें कि आपके पास टिकट कि दो प्रति है और आपने पर्यावरण के प्रति संजीदगी भी दिखाई है...

इसे कहते हैं एक तीर से दो निशाना लगाना...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें